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    "यह भागवत पुराण सूर्य के समान प्रकाशमान है और इसका उदय धर्म, ज्ञान इत्यादि के साथ भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा निज धाम को प्रयाण करने के पश्चात् ही हुआ है।" - श्रीमद्भागवत १.३.४३
 
 
श्रीमद्भागवतम एवं श्रीमद्भगवद्गीता से
 
 
 
 
ख-आदय:ख-चर:ख-स्थ:
खगखग-अधिपम्खग-अनीकखग-इन्द्र
खग-इन्द्र:खग-किन्नर-चारणा:खग-वत्खग:
खगलोक-पाला:खगा:खगान्खट्वाङ्ग
खट्वाङ्ग:खट्वाङ्ग: धुन्धुहा रघुखट्वाङ्गस्यखट्वाङ्गात्
खड्गखड्ग-चर्मणीखड्ग-पाणि:खड्गम्
खड्गान्खड्गीखड्गेनखड्गै:
खण-खणायमानखण्डखण्डम्खण्डा:
खण्डानिखण्डितखण्डित-आत्मसुखण्डित:
खण्डेनखद्योत-अर्चि:खद्योताखद्योता:
खद्योतेखद्योतै:खनित्र:खनित्रम्
खनित्रै:खनीनेत्र:खम्खम् एव
खम् चखरखर-तरम्खर-त्रिशिर-दूषण-मुख्य-बन्धून्
खर-दण्डखर-देहखर-धर्मिषुखर-रूप
खर-वत्खर-स्पर्श:खर:खरम्
खरा:खरै:खर्जुरखर्जूर-आम्रातक-आम्र-आद्यै:
खर्जूरै:खर्वटखर्वटान्खल
खल-दव-दहन:खल-निग्रहेणखल-प्रहाणयेखल-योनय:
खल:खलपान:खलम्खला:
खलानाम्खलान्खलायखलु
खलेखलेनखलेषुखलै:
खशान्खस-आदय:खा:-कारखाण्डव-प्रस्थम्
खाण्डवम्खाण्डवेनखाण्डिक्य:खाण्डिक्य: तु
खात-पूरखातक-उदकै:खात्खाद
खादतिखादन्खादन्तिखादयन्ति
खानिखिद:खिद्यत:खिद्यति
खिद्यतेखिद्यत्खिन्नखिन्न-वत्
खिन्नाखिलम्खिलानाम्खुर
खुर-आहतखुरा:खुरेणखुरै:
खेखे अवस्थित: यखे-चरखे-चरा:
खे-चराणाम्खे-चरान्खे-चरीखे-चरै:
खेटखेटान्खेदखेदम्
खेदयतिखेदयन्खेदयसेखेभ्य:
ख्यात:ख्यात: चख्याति-वादिनाम्ख्याति:
ख्यातिम्ख्यातौख्यात्याम्ख्यापित:
ख्यायमान:
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
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  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
 

 
>  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥