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    "यह भागवत पुराण सूर्य के समान प्रकाशमान है और इसका उदय धर्म, ज्ञान इत्यादि के साथ भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा निज धाम को प्रयाण करने के पश्चात् ही हुआ है।" - श्रीमद्भागवत १.३.४३
 
 
श्रीमद्भागवतम एवं श्रीमद्भगवद्गीता से
 
 
 
 
छत्रछत्रम्छत्राकम्छद
छद:छदाछदा:छदि
छदै:छद्मछद्म-वेषिण:छन्द
छन्द- अनुवर्तिन:छन्द-मृत्यो:छन्द:छन्द:-नामान
छन्द:-मयछन्द:-मयम्छन्द:-मयायछन्द:-स्तुत
छन्दयाम् आसछन्दयाम् आसतु:छन्दसाछन्दसाम्
छन्दसाम् अपिछन्दसाम् लोकम्छन्दांसिछन्दांसि अध्यापयिष्यन्
छन्दोग-संहिताम्छन्दोभि:छन्दोभ्य:छन्दोमयेन
छन्नछन्न:छन्नम्छन्ना:
छन्नाम्छम्बट्-करीछयभि:छर्दित्वा
छल-ग्रह:छल:छलम्छलयताम्
छलेनछलै:छाग-प्रायासुछादनाय
छादयछादयन्छादयन्त:छादयाम् आसु:
छान्दसात्छाय:छाययाछाया
छाया-आतपौछायाम्छायाया:छायायाम्
छायासुछित्छित्त्वाछिद:
छिदम्छिदेछिद्यन्तेछिद्यमान
छिद्यमानम्छिद्यमानेषुछिद्रछिद्र-दातृत्वम्
छिद्र-वत्छिद्रम्छिद्रयो:छिनत्ति
छिन्दन्छिन्दन्तिछिन्द्यात्छिन्द्याम्
छिन्धिछिन्धि छिन्धिछिन्नछिन्न-पक्ष:
छिन्न-बन्धन:छिन्न-संशय:छिन्न:छिन्नम्
छिन्ना:छिन्नै:छुरितछुरितम्
छुरितेषुछेत्ताछेत्तुम्छेत्तुम् अर्हति
छेदछेदन-आदिक:छेदम्
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
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  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
 

 
>  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥