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    "यह भागवत पुराण सूर्य के समान प्रकाशमान है और इसका उदय धर्म, ज्ञान इत्यादि के साथ भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा निज धाम को प्रयाण करने के पश्चात् ही हुआ है।" - श्रीमद्भागवत १.३.४३
 
 
श्रीमद्भागवतम एवं श्रीमद्भगवद्गीता से
 
 
 
 
ष-कारम्षट्षट् प्रधानानाम्षट् वर्ग:
षट्- अङ्घ्रिभि:षट्-अङ्गयाषट्-अङ्घ्रिषट्-अङ्घ्रि-वत्
षट्-अङ्घ्रेषट्-आत्माषट्-इन्द्रिय-नामान:षट्-इन्द्रिय-वर्गेण
षट्-ऊर्मिषट्-गुण-ईश:षट्-गुण:षट्-णवति:
षट्-त्रिंशत्षट्-त्रिंशत्-लक्ष-योजन-आयत:षट्-पञ्च-वर्ष:षट्-पञ्चासत्
षट्-पदषट्-पदम्षट्-पदाम्षट्-पदै:
षट्-मासा:षट्-वर्गषट्-वर्गम्षट्-वर्गै:
षट्-वसुषट्-विंशतिम्षट्-विध:षट्-विधम्
षट्-विधाम्षट्-शक्तिभि:षट्-सपत्न:षट्-सहस्र
षट्-सहस्राणिषट्पद:षट्सुषड्भि:
षण्डषण्ड-अमर्कौषण्डम्षण्ढ:
षष्टिषष्टि सहस्राणिषष्टि-सहस्राणिषष्टि-सहस्रिण:
षष्टि:षष्टिम्षष्ठ:षष्ठम्
षष्ठम् अंशम्षष्ठानिषष्ठे षष्ठेषाट्
षाट्-वर्गिकम्षेधत:षोडशषोडश-अरे
षोडश-आत्मक:षोडश-आत्माषोडश-ऋचाषोडश-कल:
षोडश-कलम्षोडश-कलायषोडश-सङ्ख्यानेषोडश-सहस्रम्
षोडशभि:षोडशमेषोडशम्षोडशी-उक्थौ
षोडशेनष्ठीवन
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
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  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
 

 
>  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥