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    "यह भागवत पुराण सूर्य के समान प्रकाशमान है और इसका उदय धर्म, ज्ञान इत्यादि के साथ भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा निज धाम को प्रयाण करने के पश्चात् ही हुआ है।" - श्रीमद्भागवत १.३.४३
 
 
संदर्भ एवं अर्थ
SB 1.3.43  -  इत्यादि
SB 1.12.13  -  इत्यादि
SB 2.9.15  -  आदि से
SB 2.10.33  -  इत्यादि
SB 3.11.40  -  उनके द्वारा
SB 3.19.31  -  तथा अन्य
SB 3.24.9  -  तथा अन्य
SB 3.25.16  -  इत्यादि
SB 3.26.45  -  इत्यादि
SB 3.31.7  -  इत्यादि से
SB 3.32.9  -  इत्यादि से
SB 4.4.5  -  इत्यादि
SB 4.7.16  -  इत्यादि के द्वारा
SB 4.26.12  -  इत्यादि से
SB 5.2.4  -  इत्यादि, सहित
SB 7.10.50  -  उनके तथा अन्यों के द्वारा भी
SB 7.10.65-66  -  इत्यादि के द्वारा
SB 7.13.14  -  अन्य लक्षणों से
SB 8.16.39  -  इत्यादि से
SB 8.22.26  -  इत्यादि से
SB 9.10.19  -  इत्यादि के द्वारा
SB 9.10.48  -  स्नान की अन्य सामग्रियों से
SB 9.23.25  -  इन गुणों से
SB 10.2.1-2  -  इत्यादि के द्वारा
SB 10.13.53  -  इत्यादि के द्वारा
SB 10.14.61  -  इत्यादि में
SB 10.15.45  -  इत्यादि के द्वारा
SB 10.29.33  -  तथा अन्य सम्बन्धियों समेत
SB 10.38.8  -  इत्यादि द्वारा
SB 10.38.27  -  इत्यादि के साथ
SB 10.41.44  -  इत्यादि से युक्त
SB 10.46.15  -  इत्यादि के द्वारा
SB 10.47.3  -  इत्यादि से
SB 10.47.62  -  तथा अन्य देवताओं द्वारा
SB 10.48.3  -  इत्यादि से
SB 10.48.5  -  आदि से
SB 10.49.20  -  इत्यादि से
SB 10.51.60  -  इत्यादि से
SB 10.51.62  -  तथा अन्य कार्यों से
SB 10.52.40  -  इत्यादि से
SB 10.58.35  -  इत्यादि प्रदान करके
SB 10.62.23-24  -  इत्यादि के द्वारा
SB 10.65.4-6  -  इत्यादि द्वारा
SB 10.67.13  -  इत्यादि से
SB 10.69.20-22  -  इत्यादि से
SB 10.69.34  -  इत्यादि से
SB 10.71.41-42  -  इत्यादि से
SB 10.81.18  -  इत्यादि से
SB 10.84.32-33  -  इत्यादि से
SB 10.85.37  -  इत्यादि से
SB 10.90.27  -  इत्यादि के द्वारा
SB 11.1.2  -  इत्यादि के द्वारा
SB 11.15.29  -  इत्यादि (सूर्य, जल, विष इत्यादि) के द्वारा
SB 11.25.13  -  आदि अन्य गुणों से
SB 11.28.40  -  इत्यादि से
SB 11.30.15  -  तथा अन्य वाहनों से
SB 12.6.26  -  आदि अन्य कारणों से
SB 12.9.17-18  -  इत्यादि से
SB 12.12.54  -  इत्यादि से
 
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