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    "यह भागवत पुराण सूर्य के समान प्रकाशमान है और इसका उदय धर्म, ज्ञान इत्यादि के साथ भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा निज धाम को प्रयाण करने के पश्चात् ही हुआ है।" - श्रीमद्भागवत १.३.४३
 
 
संदर्भ एवं अर्थ
SB 1.1.23  -  भगवान् कृष्ण
SB 1.3.43  -  कृष्ण के
SB 1.7.7  -  भगवान् कृष्ण में
SB 1.9.30  -  कृष्ण में
SB 1.9.34  -  श्रीकृष्ण में
SB 1.9.43  -  पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् कृष्ण में
SB 1.11.24  -  भगवान् कृष्ण द्वारा
SB 1.12.25  -  भगवान् कृष्ण के प्रति
SB 1.17.6  -  कृष्ण के
SB 1.18.35  -  भगवान् कृष्ण के
SB 2.4.1  -  कृष्ण के प्रति
SB 2.8.3  -  भगवान् श्रीकृष्ण को
SB 3.20.2  -  कृष्ण के प्रति
SB 4.29.1b  -  कृष्ण में
SB 5.1.4  -  श्रीकृष्ण में
SB 6.14.6  -  कृष्ण में
SB 7.1.28-29  -  कृष्ण में
SB 7.1.32  -  कृष्ण में
SB 7.5.30  -  भगवान् कृष्ण में
SB 9.19.27-28  -  कृष्ण में
SB 10.5.13  -  जब भगवान् कृष्ण
SB 10.6.39-40  -  कृष्ण में
SB 10.14.49  -  कृष्ण के लिए
SB 10.16.10  -  कृष्ण को
SB 10.16.11  -  कृष्ण पर
SB 10.20.34  -  कृष्ण में
SB 10.23.39  -  कृष्ण में
SB 10.23.42  -  भगवान् कृष्ण में
SB 10.23.43-44  -  कृष्ण के लिए
SB 10.23.52  -  कृष्ण के विरुद्ध
SB 10.27.27  -  भगवान् कृष्ण
SB 10.28.10  -  कृष्ण के प्रति
SB 10.29.16  -  कृष्ण के विषय में
SB 10.35.1  -  कृष्ण के
SB 10.46.29  -  कृष्ण
SB 10.47.24  -  कृष्ण के प्रति
SB 10.47.47  -  कृष्ण पर केन्द्रित
SB 10.47.59  -  कृष्ण के लिए
SB 10.47.67  -  कृष्ण में
SB 10.52.3  -  कृष्ण में
SB 10.54.54  -  कृष्ण के लिए
SB 10.58.30  -  कृष्ण को
SB 10.59.35  -  कृष्ण में
SB 10.65.4-6  -  कृष्ण के लिए
SB 10.82.10  -  कृष्ण के प्रति
SB 10.83.15-16  -  हे कृष्णा (द्रौपदी)
SB 10.84.1  -  कृष्ण को
SB 10.90.25  -  कृष्ण के लिए
SB 11.5.47  -  भगवान् कृष्ण के लिए
SB 11.5.49  -  कृष्ण पर
SB 12.3.15  -  कृष्ण के प्रति
BG 8.26  -  तथा अंधकार
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
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