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    "यह भागवत पुराण सूर्य के समान प्रकाशमान है और इसका उदय धर्म, ज्ञान इत्यादि के साथ भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा निज धाम को प्रयाण करने के पश्चात् ही हुआ है।" - श्रीमद्भागवत १.३.४३
 
 
संदर्भ एवं अर्थ
SB 1.3.43  -  अपने धाम
SB 4.8.82  -  अपने घर
SB 4.20.37  -  अपने धाम को
SB 8.8.24  -  अपना असली निवास
SB 9.24.67  -  अपने धाम को
SB 10.1.26  -  अपने धाम, ब्रह्मलोक
SB 10.14.41  -  अपने घर को
SB 11.6.26-27  -  अपने धाम
SB 11.6.32  -  अपने निजी धाम
SB 11.6.43  -  अपने निजी धाम
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
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  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
 

 
>  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥